लोकसभा चुनाव में सरोज पांडेय को बैगा जनजाति की शांति बाई से मिली चुनौती

दोनों ही प्रमुख पार्टियों से नाराज चल रहे हैं बैगा समुदाय, राजनीतिक चेतना का बढना जागरुकता का प्रतीक

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कोरबा। बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरोज पांडेय को बैगा जनजाति समुदाय से आने वाली शांति बाई टक्कर दे रही हैं। बेहद कमजोर आर्थिक स्थिति, संसाधनों के अभाव से गुजर रहीं शांति बाई ने शिक्षा, स्वास्थ्य और कनेक्टिविटी के लिए काम करने की इच्छा जाहिर की है। विधानसभा प्रतिपक्ष की पत्नी ज्योत्सना महंत कांग्रेस की प्रत्याशी हैं, इन दो बड़े नामों के बीच शांतिबाई का मुकाबला देख वोटर्स आकर्षित हो रहे हैं। जनजाति समुदाय का मानना है कि दोनों ही प्रमुख पार्टी से समुदाय को पर्याप्त सहयोग नहीं मिला है इसलिए स्वयं की प्रत्याशी का चुनाव लड़ना आवश्यक है।

चुनाव पक्षपातपूर्ण हो या निष्पक्ष, इस प्रणाली में किसी को ज्यादा संसाधन मिलता हो या किसी को कम लेकिन इस लोकतांत्रिक प्रणाली की सबसे बड़ी ख़ूबसूरती यही हैं कि यहाँ चुनाव हर कोई लड़ सकता हैं। सिस्टम उन्हें मौक़ा देता हैं जूझने का, संघर्ष का, लड़ने का। ये और बात हैं कि कुछ ही इस लड़ाई को जीत पाते हैं। हार पर गुमनाम हो जाते हैं और जीतकर मानों बाजीगर। बहरहाल प्रदेश के सबसे गरीब उम्मीदवार शान्ति बाई इस लोकतंत्र की ख़ूबसूरती पर चार चाँद लगा रही हैं। शहरी आभामंडल से दूर वादियों के बीच रहने वाली आदिवासी बैगा समाज की शांतिबाई का मुकाबला बड़े चेहरों से हैं।

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